Monday, December 6, 2021

3rd Sanskrit Haiku collection 2018 I established Hainka poems 2013

I send my 233 new Haiku in2013 ,but Rashtriya Sanskrit Sansthan published it in 2018. It includes Hindi translation also.

Sunday, December 5, 2021

second Haiku collection 2004

I published 205 to 567 Haiku means more 360 Haiku poems in my collection in 2004 ऋषेःक्षुब्धे चेतसि '.old Hai kya are included in this collection.

First Haiku poems 1973 -1974

I established Haiku in Modern Sanskrit. I started to write Haiku in1972 -1973 .My Haiku poems first published In Samvid patrika from 1976 to 1979.
Then I wrote Tanka in 1979 .They are published in Arvachin
Sanskritam in 1985 or 1989. 
I also established Sijo poems in 1992.
They are all published in book form 'लावारसदिग्धाः स्वप्नमयाः पर्वताः'in1996.It is my 5th  poetry collection.


Wednesday, July 28, 2021

27 july 21

वातायनस्था
नतभ्रूस्त्वम्।अधिज्य-
कार्मुकःकामः।।


Friday, July 9, 2021

poetry of between the lines

करीब 16 या सत्रह वर्षों की यह कविता है।
मम स्वप्नस्तु
मोंहें -जो-दरोगृहम्।
को वसेत्तत्र?
मेरा ख्वाब तो है
मोहें जो दरो का घर,
कौन रहेगा वहाँ।
मैं बचपन से सोचता था कि कहाँ गयी मेरी ऋषि संस्कृति?कहां मैं ढूंढु कालिदास की सृष्टि? कहां है मेरी देवभाषा? जो गया है,वह सब इतिहास की बातें है। मेरे आसपास तो अलग वास्तविकता है।
सुबह में वेद की ऋषिकाओं के मंत्रों का स्मरण हो रहा था ,तब ही सिगरेट पीती महिला देखी!
मुझे याद आया की मैं अतीत के
मोंहें जो दरो में खडा हूं!

Wednesday, June 30, 2021

mono image poems 1996 30 June 21

मैने संस्कृत में मोनो इमेज की स्थापना 1978 के आसपास की।मेरे 1985 में प्रकाशित रथ्यासु जम्बूवर्णानां शिराणाम् काव्यसंग्रह में भी मोनो इमेज कविता है।उसके लक्षण 1996 में छपे प्रथम मोनो इमेज संग्रह आसीच्च मे मनसि में दिये है।

Sunday, June 27, 2021

Sunday, June 6, 2021

8 june 21 द्वीपः

द्वीपः

जनसमुद्रे
निवसति प्रतिमनुष्यं
भवति
  एको   द्वीपः
अपरिमितवेदनायाः;
नामरहितायाः पीडायाः:
अज्ञातभयस्य।
जनसमुद्र में
प्रत्येक आदमी रहता है
एक टापु
अरिमित वेदना का,
नाम रहित पीडा का,अज्ञात भय का।
राजु साटीया और Dhansukhray Mehta को

Sunday, January 24, 2021

वैश्विकी रामकथा का लोकार्पण24 जान्युआरी 21

पूज्य मुरारिबापु द्वारा 2021 की मेरी दूसरी किताब 'वैश्विकी रामकथा 'का लोकार्पण

Saturday, January 23, 2021

my moto to write Sanskrit 23 rd jan.21

I am not writing poems to show my ego ,fame or to attract others. I write because poetry is my prayer.it is prayer for Sanskrit. With my life it is the evidence of liveliness of my language which I breathe.Thanks to all friends.
A soldier protects his motherland till last breath.