अपने 66वर्षों की आयु में
मैं अपने को आधुनिकता और औपनिषदिक दार्शनिकता के शिखर पर देख रहा हूं, जिस पर दो से दस तक के मेरे समकालीन खडे हैं।मैंने छांदस काव्य तो बीस वर्ष की आयु में ही लिखे थे।छंदकौशल्य के साथ खण्डछंद, छंदों के मिश्रण, मात्रामेल छंदों से अच्छान्दस में गेयता के बाद हाइकु, सीजो, तान्का, मोनो इमेज पोएट्री, ग्राफ पोएट्री, टाइपोग्राफी, चित्रकला के साथ काव्य,म्यूरल पोएट्री, एब्सर्ड नाटक ,डायरी के रूप में उपन्यास ,नया और अनूठा काव्यशास्त्र और.....बच्चों के लिए कविता ,कथाऐं ,स्मृति कथा के रूप में आत्मकथा.... हा ! सर्वाधिक प्रयोगशील, सर्वाधिक चर्चित रचनाकार के रूप में अनेक भाषा में लेखन ,गुजराती का भी वरेण्य कवि...पुस्तकालयों में नही,लोकहृदय में जीवित कवि। ईर्ष्या पीडित शत्रुवैभववाला ....मैं और किसी का अनुकरण नहि करता, मेरा भी नही।अभी तक 166 किताबों का लेखन..। अतः हर बार नया..वह मेरी प्रतिज्ञा है।आप सभी को वंदन ,जब तक आप मेरे साथ हैं ,मेरी लेखिनी चलती रहेगी.....
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