गृहिणी
श्रुतिपरायणा सा
स्मृतिपरायणा भूत्वा
शुश्रूषां करोति सर्वेषाम्।
श्रुति परायण ,सब की भलीबुरी सुननेवाली वह
स्मृति परायण बन कर, सब की बातें स्मरण में रख कर
करती है सब की सेवा
श्रुति, वे ,सुनना स्मृति धर्मशास्त्र और याद रखना श्लेष
अब जिसको इस विषय पर लिखने की इच्छा हो वह लिखे।अनुवाद की जरूर नही।. For
Pandya Nikunj Yashu and. Madhu Thaker